ज्ञानवापी पर इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, क्या अब ये सच्चाई आएगी सामने?

Gyanvapi: उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी(Gyanvapi) ढाँचे में मिला शिवलिंग कितना पुराना है, इसका अब खुलासा हो जाएगा। इसको लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट(Allahabad High Court) ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) कैंपस में पाए गए शिवलिंग की कार्बन डेटिंग करने की अनुमति दे दी है। हालांकि, स्ट्रक्चर में किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाने का भी निर्देश दिया है। इससे पहले इस मामले पर वाराणसी की जिला कोर्ट ने कार्बन डेटिंग की मांग को लेकर दी गई याचिका को खारिज कर दिया था। पिछले साल ज्ञानवापी परिसर में कमीशन कार्यवाही की गई थी. इस दौरान 16 मई 2022 को कैंपस में कथित शिवलिंग पाया गया था, जिसका एएसआई से साइंटिफिक सर्वे कराए जाने की मांग को लेकर वाद दाखिल किया गया था।
Gyanvapi mosque matter | Allahabad High Court allows ASI (Archaeological Survey of India) to conduct carbon dating of 'Shivling' found in the premises, without causing any kind of damage to the structure.
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) May 12, 2023
इससे पहले वाराणसी की अधीनस्थ अदालत ने सुप्रीम कोर्ट(Supreme court) की यथास्थिति कायम रखने के आदेश के चलते कार्बन डेटिंग जांच कराने से इंकार कर दिया था जिसके बाद इस फैसले को चुनौती दी गई थी। लक्ष्मी देवी और अन्य याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट में याचिका डाली जिस पर इलाहाबाद हाई कोर्ट(Allahabad High Court) ने वाराणसी की अदालत के आदेश को रद्द करते हुए जस्टिस अरविंद कुमार मिश्र ने यह आदेश दिया ।
इस याचिका पर राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी और मुख्य स्थायी अधिवक्ता बिपिन बिहारी पांडेय ने पक्ष रखा। वहीं याचिका पर अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन और ज्ञानवापी मस्जिद की तरफ से एसएफए नकवी ने पक्ष रखा। कोर्ट ने केंद्र सरकार के अधिवक्ता मनोज कुमार सिंह से पूछा था कि क्या शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए बगैर कार्बन डेटिंग से जांच की जा सकती है। जिस पर एएसआई ने कहा- बिना क्षति शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच की जा सकती है.। क्योंकि इस जांच से शिवलिंग की आयु का पता चलेगा।
जिला अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में दी गई दी चुनौती
बता दें कि ज्ञानवापी(Gyanvapi) परिसर में कमीशन कार्यवाही की गई थी. इस दौरान 16 मई 2022 को कैंपस में कथित शिवलिंग पाया गया था, जिसका एएसआई से साइंटिफिक सर्वे कराए जाने की मांग को लेकर जिला अदालत वाराणसी में वाद दाखिल किया गया था। हालांकि जिला कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया है. मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट कर रही है. ऐसे में सिविल कोर्ट को आदेश पारित करने का अधिकार नहीं है। बाद में जिला जज के अर्जी खारिज करने के आदेश को 14 अक्टूबर 2022 को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. याचिकाकर्ता लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक की ओर से यह सिविल रिवीजन दाखिल की गई है, जिसे कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस के बाद स्वीकार कर लिया है.
क्या होती है कार्बन डेटिंग
कार्बन डेटिंग आखिर होती क्या है और इस परीक्षण से किन चीजों को लेकर नतीजे निकाले जा सकते हैं? इस बारे में BHU के प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अशोक सिंह ने खास बातचीत में कहा कि कार्बन डेटिंग केवल उन्हीं चीजों की हो सकती है, जिसमें कभी कार्बन रहा हो. इसका सीधा-सीधा मतलब हुआ कि कोई भी सजीव वस्तु जिसके अंदर कार्बन होता है, जब वह मृत हो जाती है तब उसके बचे हुए अवशेष की गणना करके कार्बन डेटिंग की जाती है. जैसे हड्डी, लकड़ी का कोयला, सीप, घोंघा इन सभी चीजों के मृत हो जाने के बाद ही इनकी कार्बन डेटिंग की जाती है.