प्राण प्रतिष्ठा में निमंत्रण मिलने के बाद अखिलेश यादव ने बयान से मारी कल्टी, उद्धव ठाकरे ने पीएम पर कसा तंज!
Ram Mandir: 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। जहां चारों तरफ रामलला के आने का उत्साह है वहीं धर्म और आस्था को भी लोग अब राजनीतिक रूप देने लगे हैं। विरोधी दल राम मंदिर को भाजपा का राजनीतिक एजेंडा बता रहे हैं। इसके तहत बार-बार बीजेपी पर ताने कसे जा रहे हैं। कांग्रेस के बाद अब शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी राम मंदिर और प्रधानमंत्री पर तंज कसा है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नहीं बुलाए जाने की बात पर भाजपा पर जाति भेदभाव का आरोप लगाया है।
अखिलेश यादव अपनी बात से ऐसे पलटे
बता दें कि अखिलेश यादव ने राम मंदिर को लेकर बीजेपी पर तंज कसते हुए अपनी बात से ही कल्टी मार ली थी। अखिलेश ने रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर कहा था कि ”हमें न्योता मिलेगा तो हम रामलला के दर्शन करने जरूर जाएंगे। लेकिन जब न्योता मिला गया, तब उनका बयान बदल गया वो कहने लगे अब प्राण-प्रतिष्ठा में शामिल नहीं होंगे। दर्शन करने तभी जाएंगे जब राम आएंगे और उन्हें बुलाएंगे अभी किसी ऐसे व्यक्ति के निमंत्रण पर कैसे जा सकते हैं जिसे वो जानते नहीं।”
राष्ट्रपति मुर्मू के हाथों होनी चाहिए प्राण प्रतिष्ठा
उद्धव ठाकरे ने कहा कि ”भाजपा ने मुंबई में अटल सेतु बनाया है, लेकिन इस पर ‘अटल’ जी नहीं हैं। अब चिंता इस बात की है कि राम मंदिर में राम की मूर्ति होगी क्या? गद्दारों के घराने शाही पर भी PM मोदी ने कल उद्घाटन समारोह में एक शब्द तक नहीं कहा।”
आगे यह भी कहा कि ”मुझे पता नहीं कि अयोध्या में राम मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को बुलाया गया है या नहीं, लेकिन मेरा मानना है कि उनके हाथों से ही रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी चाहिए। इसलिए 22 जनवरी को राष्ट्रपति को बुलाया जाए, यह हमारी मांग है, क्योंकि यह सिर्फ भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा नहीं, देश की प्रतिष्ठा है।”
कालाराम मंदिर में श्रीराम के दर्शन करूंगा
उद्धव ठाकरे ने कहा रामलला के दर्शन को लेकर कहा कि ”22 जनवरी को अयोध्या में जब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी मैं उस दिन नासिक के कालाराम मंदिर में जाकर प्रभु श्रीराम के दर्शन करूंगा। गोदावरी में आरती करूंगा। इसके लिए शिवसेना राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी आमंत्रित करती है। शिवसेना सांसद खुद जाकर उनको आमंत्रण देके आएंगे। पार्टी ने यह कुछ पहले से तय किया हुआ है।”
” राममंदिर की तुलना सोमनाथ मंदिर से करते हुए आगे बोले ”जिस तरह से राम मंदिर पर बाबरी मस्जिद बनी थी, वैसे ही सोमनाथ मंदिर को कई बार तोड़ा गया था, तब सरदार वल्लभ भाई पटेल ने सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण किया था, लेकिन जब प्राण प्रतिष्ठा होनी थी, उससे पहले ही सरदार वल्लभ भाई पटेल का निधन हो गया, तब जाकर राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के हाथों प्राण प्रतिष्ठा हुई थी।”
दिवाली मनाओ, जो दिवाला निकले तो बात करो
उद्धव ठाकरे ने कहा, ”गुरु शंकराचार्य ने अगर कोई मुद्दा प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उठाया है तो हम उस पर कुछ नहीं कहेंगे, क्योंकि हम हिंदू हैं, हिंदुत्ववादी नहीं, लेकिन पंडित भी नहीं हैं, इसलिए उनका कोई मुद्दा होगा, वह नहीं बता सकते। मैं भक्त हूं, देशभक्त हूं, लेकिन अंधभक्त नहीं हूं। शास्त्र के बारे में कोई जानकारी नहीं है।”
अगर प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को हो रही है तो ”पंडित ने सब बताया होगा कब करें, कैसे करें? पंडित से पूछकर ही कर रहे होंगें। दिवाली मनाने की बात PM मोदी कर रहे हैं तो अच्छी बात है, लेकिन चर्चा भी करो। चाय पर ही क्यों, कॉफी बिस्किट फाफड़ा पर करो, लेकिन सिर्फ दिवाली मत मनाओ, जो दिवाला निकला है, उस पर भी चर्चा करो। अपनी बात सामने रखो बात करो यह जरुरी है।”