May 1, 2024

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जो अब तक पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू की सोने की छड़ी के रूप में जानी जाती रही, वो अब बढ़ाएगी नए संसद भवन की शोभा, जानिए क्या है इसका महत्व

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Sengol in New Parliament House : 28 मई को भारत के नए संसद भवन का उद्घाटन होना है। जहां एक तरफ ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी (PM Narendra Modi) संसद के नए भवन को देश को समर्पित करेंगे। वहीं दूसरी ओर 19 विपक्षी दलो ने इस समारोह का बाहिष्कार करने के लिए एकजुटता दिखाई है। पर इन सबके बीच एक और चीज काफी चर्चा का विषय बनी हुई है और वो है सेंगोल (Sengol) ।

प्रधानमंत्री करेंगे 60 हजार श्रामिकों का सम्मान

नए संसद भवन के उद्घाटन से पहले आज गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने एक प्रेस वार्ता की उन्होंने बताया कि इस भवन को बनाने वाले लगभग 60 हजार श्रामिकों का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सम्मान करेंगे।

उन्होंने बताया कि नया संसद भवन हमारे इतिहास, सांस्कृतिक विरासत, परंपरा और सभ्यता को आधुनिकता से जोड़ने का सुंदर प्रयास है और इस नई संरचना को रिकॉर्ड समय में पूरा करने में 60 हजार श्रम योगियों ने अपना अहम योगदान दिया है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन समारोह में उनका सम्मान करेंगे।

सेंगोल का अर्थ धर्म, सच्चाई और निष्ठा

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इस अवसर पर एक एतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित हो रही है और वो है सेंगोल (Sengol)। गृहमंत्री ने बताया कि अंग्रेजों से सत्ता मिलने का प्रतीक सेंगोल को नए भवन में रखा जाएगा। शाह ने बताया कि सेंगोल जिसे प्राप्त होता है, उससे उम्मीद की जाती है कि न्यायपूर्ण और निष्पक्ष शासन की अपेक्षा की जाती है।

सेंगोल (Sengol) की स्थापना के लिए देश का संसद भवन अधिक उपयुक्त स्थान है, ससंद से अधिक उपयुक्त, पवित्र और उचित स्थान कोई नहीं हो सकता। सेंगोल को किसी संग्राहलय में रखना अनुचित है। इसलिए पीएम मोदी जब संसद भवन देश को समर्पित करेंगे तब उन्हें तमिलनाडु से आया सेंगोल प्रदान किया जाएगा।

क्या है इसका इतिहास

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इसके इतिहास को बताते हुए गृह मंत्री ने बताया कि सेंगोल (Sengol) का इस्तेमाल पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी 14 अगस्त 1947 को किया था। अंग्रेजों ने सत्ता भारत को सौंपते हुए सेंगोल का उपयोग किया था। सेंगोल एक तमिल शब्द है, जिसका अर्थ है धर्म, सच्चाई और निष्ठा और धन से भरा हुआ।

सेंगोल (Sengol) के पीछे युगों पुरानी एक परंपरा जुड़ी हुई है। सेंगोल हमारे इतिहास की पहचान है। पीएम मोदी को जब इसके बारे में पता चला तो इसकी जांच की गई। इसके बाद तय किया गया कि नए संसद के उद्धाटन के दौरान सेंगोल देश के सामने रखा जाएगा।

अमित शाह का विपक्ष पर निशाना

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अमित शाह ने इस कार्यक्रम का बहिष्कार कर रहे उन दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि उद्धाटन कार्यक्रम में सभी विपक्षी नेताओं को बुलाया गया है। हमें संसद के उद्घाटन कार्यक्रम का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए। प्रधानमंत्री के दूरदर्शिता का प्रमाण नया संसद भवन है। आजादी के अमृत महोत्सव में पीएम ने जो लक्ष्य तय किए थे, उनमें से एक लक्ष्य था हमारी एतिहासिक परंपराओं का सम्मान और पुनर्जागरण।

कैसे आया चर्चा में

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दरअसल इलाहाबाद संग्रहालय में दुर्लभ कला संग्रह के तौर पर रखी गोल्डन स्टिक को अब तक पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की सोने की छड़ी के रूप में जाना जाता रहा है। हाल में ही चेन्नई की एक गोल्डन कोटिंग कंपनी ने इलाहाबाद संग्रहालय प्रशासन को इस स्टिक के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी थी.

कंपनी का दावा है कि यह कोई स्टिक नहीं बल्कि सत्ता हस्तांतरण का दंड है। गोल्डन ज्वेलरी कंपनी वीबीजे (वूम्मीदी बंगारू ज्वैलर्स) का दावा है कि 1947 में उनके वंशजों ने ही इस राजदंड को अंतिम वायसराय के आग्रह पर बनाया था।

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