हाथ में क्यों बांधा जाता है कलावा, जानिए इसके पीछे का वैज्ञानिक और पौराणिक महत्व
Importance of Raksha sutra: कलावा को रक्षासूत्र के रूप में भी जाना जाता है, कई लोगों और विश्वासियों द्वारा कलाई पर इस विश्वास के साथ बांधा जाता है कि यह उन्हें बुराई से बचाएगा। हिंदू मान्यता के अनुसार, कलावा में कई दैवीय शक्तियाँ होती हैं जो किसी व्यक्ति को समस्याओं और सभी नकारात्मक ऊर्जा से बचा सकती हैं। रक्षासूत्र (Raksha sutra) और कलावा के अलावा, पूजा के दौरान कलाई पर बंधे पवित्र धागे को कई लोग मौली भी कहते हैं।
पूजन के समय कलावे का महत्व
हिंदू देवताओं की प्रत्येक पूजा के अवसर पर आपके हाथ में लाल, पीले या नारंगी रंग का धागा (Raksha sutra) बांधने की प्रथा का पालन किया जाता है। हाथों में कलावा बांधने के पीछे कुछ वैज्ञानिक और पौराणिक महत्व भी है जिन्हें मान्यता के अनुरूप जाने से पहले जानना जरूरी है।
पौराणिक महत्व
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, देवी लक्ष्मी ने ही पहली बार राजा बलि को अपना भाई बनाकर रक्षा सूत्र (Raksha sutra) के रूप में कलावा बांधा था। माना जाता है कि कलावा के हाथों में एक व्यक्ति पवित्र त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु और महेश के आशीर्वाद के अधीन होता है और यह 3 शक्तिशाली देवी सरस्वती, पार्वती और लक्ष्मी को भी प्रसन्न करता है।
वैदिक महत्व
वेद कहते हैं कि जब इंद्र देवता व्रतसुर के साथ युद्ध कर रहे थे, तब इंद्राणी शची ने भगवान इंद्र की दाहिनी कलाई पर कलावा बांधा था। कलावा हाथों पर बांधने के लिए स्वस्थ और शुभ माना जाता है क्योंकि इसमें देवी-देवताओं का वास होता है।
वैज्ञानिक महत्व
हाथों में लाल धागा या कलावा धारण करने का धार्मिक महत्व के अलावा कई स्वास्थ्य लाभों के साथ प्रमुख वैज्ञानिक महत्व भी है। कुछ प्रमुख नसें सीधे व्यक्ति के दिल से जुड़ती हैं और आपके हाथों पर बंधा कलावा इन नसों को ठीक से काम करने के लिए नियंत्रित करता है। मौली को कलाई पर बांधने से मधुमेह, रक्तचाप, पक्षाघात और हृदय रोग जैसी प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं में सुधार होता है।
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