भाजपा संगठन में बड़े बदलाव: बदले चार राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष, एक केंद्रीय मंत्री सहित पूर्व मुख्यमंत्री मरांडी को मिली जिम्मेदारी
BJP: भाजपा (BJP) ने मंगलवार को अपने संगठन में बड़े बदलाव किए हैं. पार्टी में चार नए प्रदेश अध्यक्ष (State BJP President) सहित राष्ट्रीय कार्यकारी समिति सदस्य तथा भाजपा चुनाव प्रबंधन समिति अध्यक्ष बने हैं. आपको बता दें, गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah), भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) और पार्टी के संगठन महासचिव बीएल संतोष (BL Santosh) ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) के साथ बैठक की थी. बैठक में चुनावी राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना को लेकर भी चर्चा हुई और उसके बाद यह फैसला लिया गया है.
कौन-कौन है इस बदलाव का हिस्सा
भाजपा ने बड़े बदलाव कर केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी (G. Kishan Reddy) को तेलंगाना के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया है. एनटीआर की बेटी डी. पुरंदेश्वरी (D. Purandeshwari) को आंध्र प्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष, पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) को झारखंड तथा सुनील जाखड़ (Sunil Jakhar) पंजाब के पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है.
इसके अलावा एटाला राजेंदर (Etela Rajender) को तेलंगाना भाजपा के चुनाव प्रबंधन समिति का अध्यक्ष और आंध्रप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी को भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति का सदस्य नियुक्त किया गया है.
28 जून को देर रात तक चली थी अहम बैठक
गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah), भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) और पार्टी के संगठन महासचिव बीएल संतोष (BL Santosh) ने 28 जून को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) के साथ अहम बैठक कर इस बदलाव की रूपरेखा तैयार की थी.
इस बैठक से पहले भाजपा मुख्यालय पर अमित शाह ने नड्डा, बीएल संतोष और आरएसएस के एक शीर्ष पदाधिकारी अरुण कुमार (Arun Kumar) के साथ पांच जून, छह जून और सात जून को कम से कम पांच मैराथन बैठक की. उसके बाद प्रधानमंत्री के साथ हुई बैठक में इन बदलावों पर चर्चा हुई और पीएम ने बदलावों पर अपनी मुहर लगाई.
चुनावी राज्य हैं भाजपा के निशाने पर
बैठक में चुनावी राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना को लेकर भी चर्चा हुई थी. अटकलें थीं कि इन राज्यों से कुछ लोगों को सरकार में लाया जा सकता है तो कुछ मंत्रियों को बेहतर कामकाज के लिए संगठन में भेजा जा सकता है और अब ऐसा हीं कुछ देखने को मिल रहा है.
इसके साथ हीं जिस तरह विपक्षी दलों ने पटना में एकता बैठक (Opposition Unity) कर भाजपा को चुनौती देने की कोशिश की है, उससे भी पार्टी को अपनी चुनावी तैयारियों को दुबारा सही करने की जरूरत महसूस हो रही थी, लिहाजा यह बदलाव का फैसला लिया गया है. अब आगे देखने देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि पार्टी का यह फैसला कितना कारगर साबित होता है.
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