May 2, 2024

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ज्ञानवापी को लेकर हिंदू पक्ष की एक और जीत, अब जिला जज ने दी इस चीज की मंजूरी

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Gyanvapi Case

Gyanvapi Case: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में बहुचर्चित ज्ञानवापी (Gyanvapi) परिसर में मिली शिवलिंगनुमा आकृति ही नहीं बल्कि अब पूरे विवादित स्थल का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा वैज्ञानिक तरीके से जांच कराने की हिंदू पक्ष की याचिका को जिला जज की अदालत ने मंजूर करते हुए इस पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है।

मामले (Gyanvapi Case) में कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी को आपत्ति दाखिला करने के लिए 19 मई तक का समय दिया गया है। मसाजिद कमेटी को आवेदन की एक कॉपी भी दी गई। इसके साथ ही कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 22 मई की तिथि तय की।

वकील विष्णु शंकर ने दी जानकारी

Gyanvapi Case

Gyanvapi Case : आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने छह याचिकाकर्ताओं की तरफ से सर्वे की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा कि सनातन हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले सभी लोग यह चाहते हैं कि हमारे आराध्य आदि विश्वेश्वर से जुड़ा ज्ञानवापी (Gyanvapi) का सच सामने आए। सबको यह मालूम होना चाहिए कि ज्ञानवापी में आदि विश्वेश्वर का मंदिर कब बना था?

उन्होंने कहा कि इसके लिए अब हम लोगों ने अदालत से पूरे विवादित स्थल की कार्बन डेटिंग और ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) तकनीक से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से सर्वे कराने की मांग की है। अधिवक्ता ने कहा कि अनादि काल से हमारी आस्था के केंद्र रहे हमारे धर्मस्थलों को विदेशी आक्रांताओं ने तलवार के बल पर उजाड़ा था।

ज्ञानवापी से जुड़े सवालों के जवाब मिलने जरुरी

Gyanvapi Case

Gyanvapi Case : अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि देश की जनता को ज्ञानवापी (Gyanvapi) से जुड़े इन सवालों के जवाब मिलने जरूरी हैं। ज्ञानवापी में मिली शिवलिंगनुमा आकृति कितनी प्राचीन है? शिवलिंग स्वयंभू है या कहीं और से लाकर उसकी प्राण प्रतिष्ठा की गई थी? विवादित स्थल की वास्तविकता क्या है? विवादित स्थल के नीचे जमीन में क्या सच दबा हुआ है? मंदिर को ध्वस्त कर उसके ऊपर तीन कथित गुंबद कब बनाए गए?
तीनों कथित गुंबद कितने पुराने हैं? सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता के मुताबिक, याचिका राम प्रसाद सिंह, महंत शिव प्रसाद पांडेय, लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक की ओर से दाखिल की जाएगी। चारों महिलाएं पहले से ही ज्ञानवापी के मां श्रृंगार गौरी केस की वादिनी हैं।

क्या होता है कार्बन डेटिंग

Gyanvapi Case

Gyanvapi Case : कार्बन डेटिंग विधि का इस्तेमाल कर के किसी भी वस्तु की उम्र का पता लगाया जा सकता है। इस विधि के माध्यम से लकड़ी, कोयला, बीजाणु, चमड़ी, बाल, कंकाल आदि की आयु की गणना की जा सकती है। इस विधि से ऐसी हर वो चीज जिसमें कार्बनिक अवशेष होते हैं, उनकी आयु की गणना की जा सकती है। कार्बन डेटिंग की विधि में कार्बन 12 और कार्बन 14 के बीच का अनुपात निकाला जाता है।

किसी पत्थर या चट्‌टान की आयु का पता लगाने के लिए उसमें कार्बन 14 का होना जरूरी होता है। अमूमन 50 हजार साल पुरानी चट्टानों में कर्बन 14 पाया ही जाता है पर अगर नहीं भी है तो इस पर मौजूद रेडियोएक्टिव आइसोटोप विधि से आयु का पता लगाया जा सकता है।

 

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