आफताब ने कोर्ट के सामने कबूल किया अपना जुर्म, नार्को टेस्ट से पहले आरोपी का होगा पॉलीग्राफ टेस्ट, जानिए क्या है दोनों में अंतर?
Shraddha Murder Case: श्रद्धा मर्डर केस में आरोपी आफताब को आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए साकेत कोर्ट में पेश किया गया. जहां उसने सुनवाई के दौरान जज के सामने अपने जुर्म को कबूल किया. सुनवाई के दौरान आफताब ने कहा कि- उसने जो कुछ भी किया वह गलती से किया.
कोर्ट में उसने यह कबूल किया कि- उसने गुस्से में आकर श्रद्धा की हत्या (Shraddha Murder Case) कर दी. उसने जो कुछ भी किया वह ‘Heat of the moment’ था. इसके साथ ही उसने कहा कि वह जांच में पुलिस की पूरी तरह से सहयोग कर रहा है.
जो कुछ हुआ गुस्से में हुआ-आफताब
वीडियो कन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई सुनवाई के दौरान आफताब पूनावाला ने कहा कि- पुलिस द्वारा हो रही पूछताछ में उसने सब कुछ बता दिया है. इसके साथ ही उसने आगे कहा कि- घटना को इतने समय हो गए हैं कि उसे ठीक तरह से याद नहीं है कि उसने श्रद्धा की हत्या (Shraddha Murder Case) कर लाश के 35 टुकड़े को कहां-कहां फेंका है. बता दें कि पूछताछ के दौरान आफताब ने सारे सवालों के जवाब अंग्रेजी में दिए. पुलिस द्वारा रिमांड पर की जा रही पूछताछ में भी उसने अंग्रेजी में जवाब दिए थे.
कोर्ट ने बढ़ाई चार दिन की पुलिस रिमांड
श्रद्धा मर्डर केस (Shraddha Murder Case) में दिन प्रतिदिन हो रहे खुलासे और सस्पेंस के बीच कोर्ट ने आफताब की पुलिस रिमांड को चार दिनों के लिए और बढ़ा दी है. हत्याकांड मामले में इतने खुलासे होने के बावजूद पुलिस को अभी तक कुछ खास सबूत नहीं मिले हैं.
ऐसे में दिल्ली की पुलिस एक बार फिर महरौली समते देहरादुन और गुरुग्राम के जंगलों में छानबीन करेगी. जहां आफताब ने श्रद्दा के शव के टुकड़ों, मोबाइल और हथियार को फेंका है. वहीं, पुलिस सूत्रों की माने तो आफताब जांच को भटकाने के लिए बार-बार अपना बयान बदलने के साथ भूलने की बात कह रहा है.
आफताब का होगा पॉलिग्राफिक टेस्ट
गौरतलब है कि कोर्ट ने श्रद्धा हत्याकांड (Shraddha Murder Case) मामले की गहनता से जानकारी हासिल करने के लिए पुलिस को आफताब का नार्को टेस्ट कराने की परमिशन दे दी है. हालांकि अभी तक उसका नार्को टेस्ट नहीं किया जा सका है. रिपोर्ट्स के मुताबिक नार्को टेस्ट से पहले आफताब का पॉलीग्राफिक (लाई डिटेक्टर टेस्ट) टेस्ट होना है. जिसकी सहमति आफताब ने भी दे दी है.
खबरों के मुताबिक दिल्ली पुलिस आज आफताब का पॉलीग्राफ टेस्ट करा सकती है. इसके लिए पुलिस ने फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) से संपर्क किया है. बता दें कि नार्को टेस्ट और पॉलीग्राफ टेस्ट का मकसद किसी व्यक्ति से सच उगलवाना होता है. हालांकि, दोनों जांच की प्रक्रिया एक-दूसरे से पूरी तरह से अलग है.
पॉलीग्राफ टेस्ट से कैसे होती है झूठ की पहचान?
पॉलीग्राफिक टेस्ट एक तरीके की खास तकनीक है, जिसमें मशीनों के द्वारा व्यक्ति के सच और झूठ का पता लगाया जाता है. पॉलीग्राफ टेस्ट में आरोपित या संबंधित शख्स से सवाल पूछे जाते हैं. फिर सवाल का जवाब देते समय मानव शरीर के आंतरिक व्यवहार जैसे पल्स रेट, हार्ट बीट, ब्लड प्रेशर आदि का मशीन की स्क्रीन पर लगे ग्राफ के जरिए आकलन होता है. जिसके जरिए व्यक्ति झूठ बोल रहा है या सच इसका पता लगाया जाता है.
बता दें कि पॉलिग्राफिक टेस्ट में किसी भी टेस्ट में बिना किसी दवाई या इंजेक्श के ही पूरी प्रक्रिया की जाती है. टेस्ट के दौरान इंसान के शरीर के विभिन्न अंगों पर तार लगाए जाते हैं, जिसके जरिए मशीन उसके हावभाव को मॉनिटर करता है. इंसान जब झूठ बोलता है तो अक्सर उसके शरीर में पसीना आना, कंपकंपी होना, जोर-जोर से दिल धड़कना जैसे कई बदलाव होते हैं. इसी आधार पर मशीन के आउटपुट देखकर सच और झूठ का फर्क बताता है.
क्या होता है नार्को टेस्ट?
आपको बता दें कि पॉलीग्राफ टेस्ट की अपेक्षा नार्को टेस्ट काफी अलग होते हैं. इस जांच की प्रक्रिया में इंसान को एक खास किस्म का इंजेक्शन लगाया जाता है. जिसके बाद इंसान न तो पूरी तरह से होश में होता है न ही बेहोश होता है. नार्को ग्रीक भाषा का एक शब्द है, जिसका मतलब एनेस्थीसिया होता है.
नार्को टेस्ट में डॉक्टर ट्रुथ सिरप ड्रग्स का इस्तेमाल करते हैं. इसे इंजेक्शन में भरकर व्यक्ति को लगाया जाता है. हालांकि, इससे पहले कुछ रूटीन टेस्ट होते हैं, ताकि पता चल सके कि व्यक्ति का शरीर एनेस्थीसिया झेल पाने के लायक है या नहीं.
सोच-समझ की शक्ति खो देता है इंसान
नार्को टेस्ट के समय बेहद सावधानी बरतनी होती है. जरा सी लापरवाही व्यक्ति की जान तक ले सकती है. भारत का कानून किसी व्यक्ति का नार्को टेस्ट की इजाजत तभी देता है जब उसके खिलाफ पुख्ता सबूत न हो या वह लगातार अपनी बातों से मुकर रहा हो.
इस जांच से पहले एक्सपर्ट की एक टीम बनाई जाती है, जिनकी निगरानी में पूरी प्रक्रिया होती है. ट्रुथ ड्रग देने के बाद इंसान के दिमाग की सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो जाती है और वह झूठ नहीं बोल पाता है. ऐसे में उसके मुंह से सच निकलने की संभावना अधिक होती है. श्रद्धा हत्याकांड (Shraddha Murder Case) में आफताब से राज खुलवाने के लिए पुलिस इन दोनों टेस्ट का इस्तेमाल करेगी.