May 2, 2024

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खुलासा : अतीक अहमद को धोखा दे रहा था उमेश, हत्या से पहले बेटे को दिया था ये निर्देश, लेकिन एक चूक होने से उलटा पड़ गया पूरा खेल

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umesh pal murder case Atique Ahmed news

Umesh Pal Murder Case: प्रयागराज में हुए बहुचर्चित उमेश पाल हत्याकांड (Umesh Pal Murder Case) में हर रोज नया खुलासा सामने आ रहा है. इस बीच यह जानकारी सामने आई है कि सोमवार को मुठभेड़ में मारा गया विजय उर्फ उस्मान चौधरी 11 फरवरी को असद और गुलाम के साथ अतीक अहमद के भाई अशरफ से मिलने बरेली जेल गया था. वहीं, उमेश को ठिकाने लगाने की तैयारी पिछले डेढ़ महीने से चल रही थी. लेकिन विधानसभा सत्र के दौरान इस वारदात (Umesh Pal Murder Case) के वजह से पूरा खेल उल्टा पड़ गया.

उमेश और अतीक के बीच बढ़ गई थी दुश्मनी

अतीक अहमद उमेश पाल

वहीं, जांच के दौरान यह बात भी सामने आई है कि उमेश पाल ने माफिया अतीक अहमद से 5 करोड़ रुपये लिया था. इसके साथ ही गुजरात जेल में बंद होने के बाद वह अतीक को धोखा भी देने लगा था. जेल में रहने के दौरान उमेश ने प्रशासन में अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर उसने जमीनों के फर्जी दस्तावेज तैयार कब्जा कर लिया.

इस दौरान वह अब बिना अतीक के खुद जमीन की डील करने लगा. जब अतीक को ये मालूम पड़ा, तो वह उमेश से खतरा महसूस करने लगा. जिसके बाद उसने उमेश को ठिकाने (Umesh Pal Murder Case) लगाने का प्लान बनाया.

तीन से चार बार की गई थी रेकी

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जानकारी के मुताबिक उमेश पाल हत्याकांड (Umesh Pal Murder Case) को अंजाम देने से पहले तीन से चार बार उस जगह की रेकी गई थी. हत्याकांड में जिस क्रेटा गाड़ी का प्रयोग किया गया उस पर फर्जी नंबर करीब एक माह पहले ही लगा दिया गया था. सीसीटीवी कैमरों की पड़ताल में यह बात सामने आई है कि यह गाड़ी उमेश पाल के घर के पास तीन से चार बार आई थी.

Umesh Pal Murder Case

वारदात में शामिल हर शूटरों की भूमिका पहले से तय थी. पहली गोली कौन मारेगा और दूसरी कौन यह तक तय था. घटना के दौरान अतीक के बेटे असद को गाड़ी में ही रहना था लेकिन वह अचानक जोश में आ गया और बाहर निकल कर उमेश पर ताबड़तोड़ फायरिंग (Umesh Pal Murder Case) करने लगा. इस दौरान वह सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया. जिसका नाम अब यूपी के वांटेड लिस्ट में है. फिलहाल पुलिस उसकी तलाश में जुटी हुई है.

पुलिस के मुताबिक साजिशकर्ता इस बात को चूक मान रहे हैं कि सदन चलने के समय यह वारदात नहीं करनी चाहिए थी. सदन चलने के दौरान वारदात होने के कारण सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई और मामले ने ज्यादा तूल पकड़ लिया.

 

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