सकट चौथ व्रत 2023: तिथि, चंद्रोदय का समय और महत्व
Sakat Chauth 2023: नए साल के पहले संकष्टी चतुर्थी व्रत जिसे सकट चौथ व्रत के नाम से जाना जाता है। यह हर साल माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। यह एक लोकप्रिय हिंदू त्योहार है और इस दिन महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। यह व्रत (Sakat Chauth 2023) मुख्य रूप से बेटो के लिए किया जाता हैं। महिलाए भगवान गणेश की पूजा अर्चना करती हैं। इस साल सकट चौथ व्रत 10 जनवरी, मंगलवार को रखा जाएगा।
सकट चौथ तिथि और समय
यह व्रत (Sakat Chauth 2023) 10 जनवरी, 2023 को दोपहर 12:09 बजे शुरू होगा और 11 जनवरी, बुधवार को दोपहर 02:31 बजे समाप्त होगा।
सकट चौथ व्रत पूजा मुहूर्त
10 जनवरी प्रातः 09:52 से दोपहर 01:47 तक प्रार्थना के लिए उत्तम समय है। वहीं लाभ-उन्नति मुहूर्त सुबह 11:10 बजे से दोपहर 12:29 बजे तक और अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त दोपहर 12:29 बजे से दोपहर 01:47 बजे तक है। इस मुहूर्त में गणेश जी की पूजा करने से जीवन में उन्नति होती है।
चंद्रोदय का समय
सकट चौथ व्रत (Sakat Chauth 2023) के दिन चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है और उसकी पूजा की जाती है। इस दिन चंद्रमा का उदय रात्रि 08:41 बजे होगा। इस दौरान चंद्रमा की पूजा की जाएगी और उसके बाद पारण कर व्रत का पारण किया जाता है।
महत्व
सकट चौथ (Sakat Chauth 2023) का व्रत करने से और भगवान गणेश की कृपा से संतान के सभी संकट दूर हो जाते हैं और लंबी उम्र का सौभाग्य प्राप्त होता है। व्रत आपके कार्य में आ रही बाधाओं को भी दूर करता है। सकट चौथ मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। हालांकि 19 जनवरी को भाद्र का सकट चौथ व्रत सुबह 07 बजकर 15 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 9 मिनट तक रहेगा।
पूजन विधि
- सुबह जल्दी उठें और स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- संकल्प के बाद ध्यान करें (अपने दिल की गहरी इच्छाओं से जुड़ें और अपने बच्चों के लिए आशीर्वाद लेने के लिए सकट माता की पूजा करें)।
- ब्रह्मचर्य बनाए रखें
- निर्जला व्रत शुरू करें।
- चौथ माता की पूजा करें और उनसे अपने बच्चों को बीमारी, बुराई और हर तरह के नुकसान से बचाने की प्रार्थना करें।
- चंद्रोदय के समय, चंद्रमा भगवान को अर्घ्य (जल) अर्पित करें और गंधम (प्राकृतिक इत्र / चंदन), पुष्पम, धूपम, दीपम और नैवेद्यम (भोजन) चढ़ाकर सकट माता की पूजा करें।
- सकट चौथ व्रत कथा पढ़ें और पूजा समाप्त करें। कुछ क्षेत्रों में, महिलाएं भी भगवान गणेश की पूजा करती हैं और संतान के लिए उनका आशीर्वाद मांगती हैं।
- रात को चांद को अर्ध दे और प्रसाद बांटकर फिर अपना व्रत खोलें।
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