Kanjhawala Case: आरोपियों के परिवार ने भी की अंजलि को न्याय दिलाने की मांग, लेकिन सता रहा है मीडिया ट्रायल का डर
Delhi Girl Dragged Case: दिल्ली के सुल्तानपुरी के कंझावला (Kanjhawala Case) में 31 दिसंबर और 1 जनवरी की रात हुए भीषण हादसे ने सभी को झकझोर कर रख दिया है. हादसे में हुई दर्दनाक मौत के बाद देश भर में गुस्सा और संवेदना है. सभी लोग मृतक अंजलि के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं. हादसे में गिरफ्तार एक आरोपी के परिवार ने भी अंजिल के लिए न्याय मांगा है.
पीड़िता को मिले न्याय- आरोपी का परिवार
गौरतलब है कि नए साल पर हुए हादसे (Kanjhawala Case) के बाद पुलिस ने मामले में शामिल सभी 5 आरोपियों अमित खन्ना, दीपक खन्ना, मिथुन, कृष्ण, और मनोज मित्तल को गिरफ्तार किया है. इसमें से आरोपी कृष्ण के परिवार ने एक चैनल से बात करते हुए हादसे की शिकार अंजलि के लिए न्याय की मांग की है.
कृष्ण के भाई मुकेश ने कहा कि- “जो उसके (कुमारी) साथ हुआ है, वह किसी के साथ नहीं होना चाहिए. वह न्याय की हकदार है. उसका परिवार उसी का हकदार है, लेकिन मामले में मीडिया ट्रायल नहीं होना चाहिए. हम पुलिस की जांच पर भरोसा करते हैं और उम्मीद करते हैं कि उन्हें कानून के मुताबिक सजा मिलेगी.”
मुकेश ने आगे कहा कि- “कृष्ण की गिरफ्तारी के बाद से परिवार का कोई भी सदस्य बाहर नहीं निकला है और टीवी पर समाचारों के माध्यम से मामले की जानकारी प्राप्त कर रहा है.” उन्होंने कहा, “हमें डर है कि अगर हम उनसे मिलने पुलिस स्टेशन जाएंगे तो लोग हिंसक हो जाएंगे.”
अन्य आरोपियों के घर भी लटका ताला
वहीं, अन्य आरोपियों के घर की बात करे तो लगभग सभी के घरों पर हादसे (Kanjhawala Case) के बाद से ही ताला लटका हुआ है. वहीं, इन सभी के हादसे में शामिल होने को लेकर उनके पड़ोसी भी हैरान है. आरोपी मिथुन जो मंगोलपुरी का रहने वाला है उसके पड़ोसियों का कहना है कि- वह काफी मददगार व्यक्ति है.
वहीं, अमित खन्ना जो उत्तम नगर में एसबीआई में काम करता है. वह अपने भाई के साथ उत्तम नगर इलाके में ही रहता है. पड़ोसियों ने कहा कि- उसके पिता का कई साल पहले निधन हो गया था, जबकि उसकी मां की महामारी के दौरान मृत्यु हो गई थी. हादसे के बाद उसके घर पर ताला लटका हुआ है.
क्या होता है मीडिया ट्रायल?
दरअसल आजकल सोशल मीडिया का जमाना है. जहां, लोगों द्वारा किसी भी खबर को बिना परखे उसकी सच्चाई जाने उसे बहुत तेजी से शेयर करते हैं. इसके अलावा टीआरपी के खेल में तमाम न्यूज चैनल और अखबार अदालत के द्वारा अपना फैसला सुनाए जाने से पहले ही अपने खबरों और कवरेज के माध्य से किसी व्यक्ति को निर्दोष और अपराध के अभियुक्त होने की धारणा को जनता के सामने परोस देता है. जिसे मीडिया ट्रायल कहा जाता है.
शिना बोरा हत्याकांड, सुशांत सिंह राजपूत समेत कई ऐसे मामले हैं जहां हमें मीडिया ट्रायल देखने को मिला. जहां अदालत द्वारा अपना फैसला सुनाए जाने से पहले ही मीडिया ने आरोपियों को दोषी करार दे दिया था. कंझावला कांड (Kanjhawala Case) में भी आरोपियों के परिवार को इस बात का डर है कि कही उनके साथ मीडिया ट्रायल ना हो जाए.
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