इस मामले में एक बार फिर बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका, कहा पहले हाईकोर्ट अंतिम फैसला आने दो
Bihar Caste Census : जाति आधारित जनगणना के केस में बिहार सरकार को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने झटका लगा है। कोर्ट ने इस पर अभी सुनवाई से मना करते हुए पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) के झोली में डाल दिया है।
इस मामले (Bihar Caste Census) में दो बार जनहित याचिका ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ये पटना हाईकोर्ट का केस है और जब तक हाईकोर्ट में इसकी सुनवाई नहीं हो जाती तब तक हम इस पर कुछ नहीं कर सकते हैं।
हाईकोर्ट की सुनवाई के बाद सुनेंगे दलील- सुप्रीम कोर्ट
आपको बता दें कि इस बार पटना हाईकोर्ट से अपने खिलाफ अंतरिम आदेश को देखकर बिहार सरकार अगली तारीख का इंंतजार किए बगैर सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी जहां पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में जस्टिस अभय ओक ने स्पष्ट कहा-
“पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) के अंतरिम फैसले में काफी हद तक स्पष्टता है, लेकिन अंतिम फैसला आए बगैर इसपर सुनवाई नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट को इसमें अंतरिम राहत नहीं दे सकता है। हाईकोर्ट अपनी दी तारीख 03 जुलाई पर सुनवाई कर फैसला नहीं देगा तो सुप्रीम कोर्ट 14 जुलाई को यहां दलील सुनेगा।”
यह सर्वे है, जनगणना नहीं- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा पहले ही इस मामले (Bihar Caste Census) में स्पष्टता होने के बाद भी बिहार सरकार की ओर से दलील सुनने की अपील की गई तो सुनवाई शुरू हुई। सरकार की ओर से इस मामले में दलील दी गई कि यह सर्वे है, जनगणना नहीं।
सरकार की तरफ से आए वकील ने बताया कि जनगणना में जानकारी नहीं देने पर जुर्माना लगता है, सर्वे में नहीं। सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि कई राज्य यह पहले करा चुके, इसलिए ऐसा भी नहीं कि यह कोई नया काम हो रहा है।
हमारा डाटा सरकारी सर्वे पर है मौजूद- बिहार सरकार
इस पर (Bihar Caste Census) जब कोर्ट ने हाईकोर्ट (Patna High Court) के डाटा सुरक्षा के बिंदु पर सवाल किया तो सरकार ने कहा कि हमारा डाटा सरकारी सर्वे पर है, किसी अन्य क्लाउड पर नहीं है। प्रक्रिया रोके जाने से पैसे की बर्बादी हो रही है, क्योंकि यह अंतिम दौर में था।
कोर्ट ने कहा कि डाटा सुरक्षा को लेकर पटना हाईकोर्ट ने कई गड़बड़ी पकड़ी है, खासकर डाटा की पुनर्जांच में यह परेशानी देखी गई है। इसकी प्रक्रिया को जांचने की जरूरत है। सरकारी वकील ने कहा कि ऐसा कुछ होता है तो उसे देखा जा सकता है। इसपर एक बार फिर कोर्ट ने दुहराया कि इस स्थिति में अभी पटना हाईकोर्ट की प्रक्रिया में दखल देना कहां उचित है? उसे 3 जुलाई को सुनवाई करने देना है।
हाईकोर्ट का आने दीजिए फैसला- जस्टिस ओक
इससे पहले, जस्टिस ओक ने कहा कि हमें यह देखना है कि सर्वे के नाम पर यह जनगणना (Bihar Caste Census) तो नहीं है। उन्होंने सरकार के पक्ष पर यह भी स्पष्ट कहा कि हाईकोर्ट ने वही आदेश दिया, जो उसे प्रथम दृष्ट्या नजर आया है। हम न तो यह कह रहे हैं कि वही आदेश सही है और न ही हम इसमें अभी हस्तक्षेप करेंगे।
हम बस यह कह सकते हैं कि अभी किसी तरह की राहत नहीं दी जा सकती है। इसके साथ ही हम यह भी नहीं कह रहे कि हम सुनवाई नहीं करेंगे, लेकिन पहले हाईकोर्ट में 03 जुलाई को क्या होता है, यह देखना होगा। बेंच के जस्टिस बिंदल ने कहा कि ज्यादातर दस्तावेज इसे (Bihar Caste Census) जनगणना ही बता रहे हैं।
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