May 2, 2024

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जम्मू कश्मीर के 2 विधेयक राज्यसभा में हुए पारित: सांसद शीतकालीन सत्र

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Amit Shah: राज्यसभा में सोमवार यानी 11 दिसंबर को जम्मू कश्मीर रिजर्वेशन अमेंडमेंट बिल, 2023 और ‘जम्मू कश्मीर reorganisation amendment bill 2023 पास हो गया। चर्चा के बाद बहुमत से bill को मंजूरी दी गई और गृह मंत्री अमित शाह के जवाब से unsatisfied opposition के कई सदस्यों ने इस दौरान वॉकआउट कर दिया।

विधेयक पहले ही पारित हो चुके हैं

तो आइए जानते है जम्मू कश्मीर से जुड़े इन दो विधेयकों में कई important provisions के बारे में. इसमें अनुसूचित जाति (SC),अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लोगों को नौकरियों में आरक्षण के साथ ही विधानसभा सीटों की संख्या में इजाफा होने के provision हैं। लोकसभा में ये दोनों विधेयक पहले ही पारित हो चुके हैं।

यह फैसला विपक्षी दलों की बड़ी हार है

आपको बता दे कि गृह मंत्री अमित शाह ने चर्चा के दौरान कहा कि “संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला विपक्षी दलों की बड़ी हार है।” इसके साथ ही उन्होंने कहा कि “पीओके यानी पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भारत का है और उसे हमसे कोई छीन नहीं सकता।”

शाह ने आगे कहा कि “अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट के बरकरार रखे जाने के बाद जम्मू-कश्मीर के संविधान की कोई validity नहीं रह गई है।”

बता दे कि जम्मू कश्मीर reservation (amendment) bill, जम्मू कश्मीर reservation act 2004 में amendment करता है। ये एससी, एसटी, अन्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लोगों को नौकरियों और व्यावसायिक संस्थानों में आरक्षण प्रदान करता है।

वहीं, जम्मू कश्मीर reorganization (amnedment) bill, जम्मू कश्मीर reorganization act 2019 में संशोधन करता है। Proposed bill से विधानसभा सीटों की कुल संख्या 83 से बढकर 90 हो जाएगी। इसमें एससी के लिए 7 सीट और एसटी के लिए 9 सीट reserved हैं। साथ ही उपराज्यपाल कश्मीरी प्रवासी समुदाय से एक महिला सहित दो सदस्यों को विधानसभा में nominate कर सकते हैं।

लेकिन गृह मंत्री अमित शाह के भाषण के दौरान जो लोगों का ध्यान अपने तरफ खींचता है वो है शाह का जवाहरलाल नेहरू पर हमला। अमित शाह कहते है कि “अगर जवाहरलाल नेहरू ने असमय सीजफायर नही किया होता तो आज पाक occupied कश्मीर नहीं होता। हमारी आर्मी जीत रही थी, वो 2 दिन रुक जाते तो पूरा कश्मीर तिरंगे के अंदर होता।”

 

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