Indian Union Muslim League: CAA के विरोध में मुस्लिम पक्ष ने दायर की याचिका, पूछा मुस्लिमों के साथ भेदभाव क्यों?
Indian Union Muslim League: केंद्र सरकार द्वारा नागिरकता संशोधन कानून CAA लागू करने पर इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में CAA पर रोक लगाने की मांग की गई है। बता दें कि मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग इस कानून का विरोध कर रहे हैं। उनको लगता है कि यह कानून उनके साथ भेदभाव करता है, जो देश के संविधान का उल्लंघन है।
IUML ने की CAA न लागू करने की मांग
दरअसल आईयूएमएल द्वारा दायर की गई याचिका में नागरिकता संशोधन कानून 2019 के प्रावधानों को देश में लागू करने पर रोक लगाने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि ‘’नागरिकता कानून के तहत कुछ धर्मों के लोगों को ही नागरिकता दी जाएगी, जो संविधान के खिलाफ है।’’
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CAA में नागरिकता नहीं जाएगी
बता दें कि CAA के अंतर्गत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक प्रताड़ना का शिकार होकर भारत आने वाले गैर मुस्लिमों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। इस कानून के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आने वाले हिंदू,सिख, बौद्ध, पारसी, जैन और ईसाई समाज के लोगों को भारत की नागारिकता मिलेगी। सीएए में किसी की भी नागरिकता छीनने का प्रावधान नहीं है।
रिट याचिका में अंतरिम आवेदन
दरअसल इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने सीएए को चुनौती देते हुए रिट याचिका भी दायर की थी। आईयूएमएल ने सीएए के खिलाफ दायर अपनी रिट याचिका में अंतरिम आवेदन दिया, जिसमें आईयूएमएल ने तर्क दिया कि किसी कानून की संवैधानिकता तब तक लागू नहीं होगी, जब तक कानून स्पष्ट तौर पर मनमाना हो।
मुस्लिम धर्म को बाहर रखना गलत
साथ ही इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने यह भी कहा है कि ‘’वह शरणार्थियों को नागरिकता देने के खिलाफ नहीं है। उनका विरोध तो इसमें मुस्लिम धर्म के लोगों को बाहर रखने को लेकर है। आखिर मुस्लिम धर्म के लोगों को बाहर क्यों रखा गया?’’
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