May 2, 2024

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जोशीमठ त्रासदी को लेकर अलर्ट मोड़ पर सरकार, दरार आए घरों और इमारतों पर लाल निशान लगाकर गिराने की तैयारी

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Joshimath Tragedy

Joshimath Tragedy: उत्तराखंड के जोशीमठ में हो रहे भूमि धंसाव (Joshimath Tragedy) को लेकर हर पल खतरा बढ़ता ही जा रहा है. अब तक वहां पर करीब 700 से अधिक घरों में दरारे आई है. वहीं, इसके अलावा कई जगहों पर जमीन धसने की भी खबर सामने आ रही है. जोशीमठ भू धंसाव (Joshimath Tragedy) को लेकर प्रशासन भी अलर्ट मोड़ पर है.

131 परिवारों को निकाला गया सुरक्षित

प्रशासन ने अभी तक 100 से ज्यादा परिवारों को सुरक्षित स्थान पर निकाला है. वहीं, कई जगह घरों और होटलों को गिराने की तैयारी में लगी हुई हैं. जिसके लिए दरार आई घरों और इमारतों पर लाल क्रॉस (असुरक्षित ) का निशान लगा रहा है. जिसे गिराया जाएगा.

वहीं, दूसरी ओर प्रशासन द्वारा घरों और इमारतों पर लगाए जा रहे लाल निशान का स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि वह किसी भी किमत पर अपने घर को छोड़कर नहीं जा सकते. हालांकि प्रशासन की टीम उन्हें समाझा-बुझाकर वहां से सुरक्षित स्थान पर ले जाने का प्रयास कर रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक जोशीमठ (Joshimath Tragedy) से अभी तक 131 परिवार को वहा से सुरक्षित स्थान पर निकाला गया है.

पीड़ितो को उचित मुआवजा देगी सरकार

प्रशासन ने जोशीमठ त्रासदी (Joshimath Tragedy) में पीड़ितों को मुआवजा देने का एलान किया है. उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू ने एनसीएमसी को मौजूदा स्थिति से अवगत कराया और बताया कि गंभीर रूप से प्रभावित घरों के निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है.

बयान में कहा गया है कि प्रभावित परिवारों को समायोजित करने के लिए जोशीमठ और पीपलकोटी में राहत आश्रयों की पहचान की गई है और राज्य सरकार उचित मुआवजा और राहत उपाय प्रदान करा रही है.

हर साल 2.5 इंच धंस रहा है जोशीमठ

जोशीमठ में अचानक घरों में आई दरारों (Joshimath Tragedy) को लेकर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग ने एक अध्ययन में पाया कि जोशीमठ और इसके आसपास के इलाके हर साल 6.5 सेमी या 2.5 इंच की दर से धंस रहे हैं. देहरादून स्थित संस्थान क्षेत्र के सैटेलाइट डाटा के उपयोग से इसकी गतिविधियों पर निगरानी रखी जा रही है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक फिलहाल जोशीमठ की हालत बहुत ही संवेदनशील है. जोशीमठ में हर साल कुछ समय के लिए मंदिर पानी में डूबे रहते हैं. इस बीच जोशीमठ की इमारतों और सड़कों में बड़े पैमाने पर आईं दरारों ने बड़ा संकट खड़ा कर दिया है.

 

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