जानिए क्यों महाराष्ट्र और कर्नाटक सीमा विवाद को लेकर आमने-सामने हैं शिंदे और बोम्मई सरकार, गृहमंत्री अमित शाह को भी किया नजरअंदाज
Maharashtra Karnataka Border Dispute: कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच इस समय चल रहा सीमा विवाद (Maharashtra Karnataka Border Dispute) काफी सुर्खियों में हैं. दोनों ही राज्यों के सीमाओं पर लगातार प्रदर्शन का दौर चल रहा है. बीच-बीच में हंगामा होता भी नजर आया है. वहीं, अब दोनों राज्यों की सरकारें भी आमने-सामने हैं.
पिछले दिनों दोनों राज्य की सरकारों ने अपने विधानसभाओं में एक ऐसा प्रस्ताव पास किया है. जिसमें इस विवाद के समाधान हेतु कानूनी लड़ाई लड़ने पर सहमती जताई गई है. दरअसल दोनों राज्यों के बीच सुर्खियों में आया यह विवाद नया नहीं, ब्लिक 66 साल पुराना विवाद है. आईए जानते हैं कि आखिर पूरा माजरा क्या है?
राज्यों का पुनर्गठन है विवाद का जड़
महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच जारी सीमा विवाद (Maharashtra Karnataka Border Dispute) का पूरा राज्य पुनर्गठन आयोग में है. दरअसल आजादी मिलने के बाद जैसे ही स्वाधीनता मिली उस समय की मौजूदा सरकार ने भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन करने का फैसला लिया. इसके लिए फजल अली आयोग भी बनाया गया.
आयोग ने 1955 में अपनी रिपोर्ट पेश की. जिसे 1956 में संसद में पारित किया गया. जिसके कारण 1960 में देश के सारे राज्यों का पुनर्गठन किया गया. जिसमें महाराष्ट्र और कर्नाटक भी शामिल थे. पुराना जो मैसूर राज्य था, उसको कर्नाटक नाम दिया गया और पुराना जो बॉम्बे प्रॉविंस था, उसको महाराष्ट्र नाम दिया गया.
दोनों राज्यों की क्या है मांग?
विभाजन के बाद से ही कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच सीमा विवाद (Maharashtra Karnataka Border Dispute) चालू हो गया. दरअसल महाराष्ट्र का कहना है कि कई मराठी भाषी को कर्नाटक में शामिल किया गया है. वहीं, कर्नाटक का भी यही कहना है कि उनके कई ऐसे कन्नड़भाषी गांव है जिन्हें महाराष्ट्र में शामिल किए गए हैं.
कर्नाटक का कहना है कि महाराष्ट्र में करीब 40 गांवों में कन्नड़ बोलने वाली ऐसी आबादी हैं, जिन्हें गलत तरीके से महारष्ट्र को दे दिया गया है वहीं, महाराष्ट्र का भी यही कहना है कि कर्नाटक में 865 ऐसे गांव हैं जहां मराठी लोग रहते हैं महाराष्ट्र में उसका विलय कर देना चाहिए.
उद्धव ठाकरे ने की केंद्र शासित प्रदेश की मांग
महाराष्ट्र और कर्नाटक सीमा विवाद (Maharashtra Karnataka Border Dispute) को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी अपनी राय रखी है. उद्धव ठाकरे ने इस विवाद को सुप्रीम कोर्ट द्वारा हल किए जाने तक कर्नाटक के विवादित क्षेत्रों को ‘कर्नाटक के कब्जे वाला महाराष्ट्र’ (KOM) करार देते हुए केंद्र सरकार से इस इलाके को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने की मांग की है. उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने अपनी इस मांग को विवाद पर महाराष्ट्र सरकार द्वारा लाए जा रहे प्रस्ताव में भी शामिल करने की बात कही थी.
अमित शाह ने की थी दोनों मुख्यमंत्रियों से बात
बता दें कि कर्नाटक में अगले साल मई महीने तक विधानसभा का चुनाव होना है. जिसे देखते हुए महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद (Maharashtra Karnataka Border Dispute) को और हवा दिया जा रहा है. वहीं, दोनों राज्यों के बीच जारी इस विवाद पर गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) भी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से चर्चा कर चुके हैं.
अमित शाह (Amit Shah) ने दोनों ही राज्यों से संयम बरतते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंताजर करने को कहा है. हालांकि दोनों ही राज्यों ने विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर इस विवाद को और बढ़ा दिया है.