UP Rajya Sabha Elections: राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग, सपा के 8 विधायकों ने बीजेपी के समर्थन में डाले वोट
UP Rajya Sabha Elections: राज्यसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए सभी पार्टियां एड़ी-चोटी का जोर लगा रही हैं। वहीं लोकसभा चुनाव 2024 भी आने वाले हैं इसी के साथ पार्टियां अलग-अलग दाव भी खेलने लगी हैं। बीजेपी ने भी अपना दाव खेला है। कहा जा रहा है कि बीजेपी के इस कदम से ही दूसरी विपक्षी पार्टियों में सेंध लगने वाली है। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सपा के चीफ व्हिप रहे मनोज पांडेय ने आज सपा से इस्तीफा दे दिया है। वहीं राज्यसभा चुनाव में बीजेपी की जीत पक्की है इसकी वजह विधायकों की क्रॉस वोटिंग बताई जा रही है।
तीसरे उम्मीदवार की जीत मुश्किल
यूपी की 10 सीटों के लिए राज्यसभा चुनाव में सात सीटों पर जीत सुनिश्चित होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी ने आठ उम्मीदवार उतार दिए। सपा महासचिव रामगोपाल यादव का भी यही माना है कि पार्टी के तीसरे उम्मीदवार की जीत मुश्किल है।
संजय सेठ के समर्थन में मतदान
बता दें कि सपा के सात विधायकों ने पार्टी लाइन से हटकर बीजेपी के आठवें उम्मीदवार संजय सेठ के समर्थन में मतदान किया है। खबरों की मानें तो सपा के चीफ व्हिप रहे मनोज पांडेय और राकेश पांडेय के साथ ही राकेश प्रताप सिंह, अभय सिंह, विनोद चतुर्वेदी, पूजा पाल और आशुतोष मौर्य ने बीजेपी उम्मीदवार को वोट किया है।
आठवें उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित
बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के पास कुल मिलाकर आठ उम्मीदवारों की जीत के लिए जरूरी प्रथम 296 वोट के मुकाबले 286 विधायकों का समर्थन था। इसके साथ ही ओमप्रकाश राजभर की पार्टी के एक विधायक अब्बास अंसारी जेल में हैं। ऐसे में एनडीए का संख्याबल 285 रह गया है।
सपा के दस विधायकों ने की क्रॉस वोटिंग
राजा भैया की पार्टी के दो विधायकों ने भी बीजेपी को वोट किया जिससे पार्टी के प्रथम वोट 287 पर पहुंच गए। अब सपा के सात विधायकों के क्रॉस वोटिंग करने से बीजेपी का प्रथम वोट 294 पहुंच गया है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि सपा के कम से कम 10 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है और पार्टी के आठवें उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित है।
क्रॉस वोटिंग किसे कहते हैं?
दरअसल, राजनीतिक के जानकारों के अनुसार, वोटर्स अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी पार्टी को वोट करने के लिए स्वतंत्र है। अगर विधायक अपनी पार्टी की जगह पर किसी दूसरे पार्टी के उम्मीदवार को वोट करता है तो इसे क्रॉस वोटिंग कहा जाता है। अब अगर ऐसा होता है तो क्या क्रॉस वोटिंग करने वालों की सदस्यता चली जाएगी? नियम यह कहता है कि किसी भी विधायक की सदस्यता समाप्त नहीं होगी।
दलबदल कानून कब लागू होगा?
क्या क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायक के बारे में अगर पार्टी जानती है तो उसके खिलाफ एक्शन ले सकती है? इन सबके बीच एक और सवाल है कि क्या दूसरे दल के प्रत्याशी को वोट करने के बाद दलबदल कानून लागू होता है? नहीं ऐसा नहीं होता है। जब तक सदस्य जिस पार्टी से विधायक है उस पार्टी से इस्तीफा देकर दूसरी पार्टी में शामिल नहीं होता है तब तक वह दलबदल कानून के दायरे से बाहर है।
सदस्यता को कोई खतरा नहीं
इस से यह साफ पता चलता है कि किसी विधायक के क्रॉस वोटिंग करने से सदस्यता पर कोई खतरा नहीं होगा और किसी भी क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायक की सदस्यता नहीं जाएगी। ऐसे में अब अगर सपा के विधायक बीजेपी को और बीजेपी के विधायक सपा को वोट करते हैं तो इसके बाद भी उनकी सदस्यता को कोई खतरा नहीं है।
सपा में पड़ी दरार
दरअसल राज्यसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए वोटिंग से ठीक एक दिन पहले बीजेपी और सपा, दोनों ने ही अपने-अपने विधायकों को डिनर पर बुलाया था। सीएम योगी की डिनर पॉलिटिक्स में वोटिंग को लेकर पार्टी की रणनीति पर व्यापक मंथन हुआ और फिर मतदान से ठीक पहले इसके परिणाम भी नजर आने लगे। वहीं, अखिलेश के डिनर से आठ विधायकों ने किनारा कर लिया था जिससे यह साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि सपा पार्टी में दरारें पड़ने लगी हैं।
मुलाकतों का सिलसिला जारी
बता दें कि अखिलेश यादव के सबसे करीबी नेताओं में से एक रायबरेली की ऊंचाहार सीट से विधायक मनोज पांडेय ने सपा के चीफ व्हिप पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद योगी सरकार में मंत्री दयाशंकर सिंह ने मनोज पांडेय से उनके आवास पर पहुंचकर मुलाकात की। दयाशंकर से मुलाकात के बाद मनोज पांडेय वोट देने के लिए रवाना हुए थे।
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