March 29, 2024

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मोहम्मद जुबैर को सुप्रीम कोर्ट ने दी 5 दिन की अंतरिम जमानत, कहा न करे इलेक्ट्रॉनिक सबूतों से छेड़छाड़

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Mohammad Zubair Bail

Mohammad Zubair Bail

Mohammad Zubair Bail: फैक्ट चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस द्वारा दर्ज किए गए एफआईआर के सिलसिले में 5 दिनों की अंतरिम जमानत दे दी है.  बेल के अनुरोध पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह अभी भी अन्य अपराध में हिरासत में हैं, वह किसी अन्य अपराध से बाहर नहीं हुए है इसलिए वह तथ्यों से छेड़छाड़ न करें.

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में क्या कहा ?

Mohammad Zubair Bail

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ़ कहा है,

‘यह अंतरिम जमानत सीतापुर, उत्तर प्रदेश में दर्ज दिनांक 1 जून 2022 के एफआईआर के मामले में है, किसी अन्य मामले में नहीं. और अब आगे वह इस मामले और कोई ट्वीट नहीं करेंगे.’

साक्ष्य से छेड़छाड़ न करें याचिकाकर्ता

Mohammad Zubair

बहरहाल कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी स्पष्ट कहा है,

“याचिकाकर्ता बैंगलोर (अपने निवास) या कहीं और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य से छेड़छाड़ नहीं करेंगे.”

पीठ ने आगे कहा कि उसने प्राथमिकी में जांच पर रोक नहीं लगाई है और अंतरिम राहत उसके (Mohammad Zubair Bail) खिलाफ लंबित किसी अन्य मामले पर लागू नहीं होती है.

अधिवक्ता कॉलिन और सॉलिसिटर जनरल तुषार आए आमने-सामने

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मोहम्मद जुबैर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने उनका पक्ष रखते हुए तर्क दिया,

‘कथित अपराध इसलिए नहीं बनते क्योंकि जुबैर ने केवल धार्मिक नेताओं द्वारा किए गए “अभद्र भाषा” के खिलाफ आवाज उठाई है, खुद उन्होंने वह इस तरह के कृत्य में शामिल नहीं हुए.’

तो वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया,

‘यह जुबैर के एक ट्वीट के बारे में नहीं है, बल्कि क्या वह एक ऐसे सिंडिकेट का हिस्सा हैं, जो देश को अस्थिर करने के इरादे से नियमित रूप से ऐसे ट्वीट पोस्ट कर रहे हैं.’

उन्होंने आगे कहा, जुबैर ने स्थानीय अदालतों द्वारा उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला खोजने और जमानत से इनकार करने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट से तथ्यों को छुपाया हैं. इसलिए मैं उनकी याचिका पर आपत्ति जताते हुए उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले की एक स्थानीय अदालत में कल जमानत के लिए जुबैर की याचिका खारिज होने के बावजूद कल उनके (Mohammad Zubair Bail) द्वारा दायर हलफनामे में इस तथ्य को चुनौती देता हूं.

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