April 24, 2024

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1906 में फहराया गया था पहला तिरंगा, जानिए कैसे बदला इसका स्वरूप

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National Flag

National Flag : भारत इस बार 75वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है. हर बार की तरह इस बार हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा शान से फहराया जाएगा. गौरतलब है कि वर्तमान में जो हमारे देश के तिरंगे का स्वरूप है, वह पहले ऐसा नहीं था. बता दें कि राष्ट्र ध्वज के रूप में यह इसका छठा स्वरुप है.

कब और किस तरह हुआ राष्ट्रध्वज का विकास

National Flag

हर स्वतंत्र राष्ट्र का अपना एक ध्वज (National Flag) होता है. अभी जो भारत (India) देश का तिरंगा है, उसे 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था. बता दें कि ये बैठक 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से देश के आजाद होने से कुछ दिन पहले ही हुई थी. तिरंगे को 15 अगस्त 1947 और 26 जनवरी 1950 के बीच भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया था और इसके बाद से भारतीय गणतंत्र ने इसे अपनाया.
देश के राष्ट्रीय ध्वज में आरंभ से ही कई परिवर्तन हुए है. स्वतंत्रता के राष्ट्रीय संग्राम के दौरान इसे खोजा गया था और तभी मान्यता भी दी गई थी. गौरतलब है कि भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के विकास को आज के इस रूप में पहुंचने के लिए अनेक दौर से गुजरना पड़ा है, जो कि राष्ट्र में राजनीतिक विकास को दर्शाता है.

पहला राष्ट्रीय ध्वज- 1906 का गैर आधिकारिक ध्वज

National Flag

बता दें कि पहली बार तिरंगा (National Flag), 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कलकत्ता में फहराया गया था, जिसे अब कोलकाता (Kolkata) कहा जाता हैं. इस ध्वज को लाल, पीले और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों से बनाया गया था.

दूसरा राष्ट्रीय ध्वज- भीकाजीकामा द्वारा 1907 में फहराया

National Flag

1906 में फहराये ध्वज में कुछ परिवर्तन करके बर्लिन में हुए समाजवादी सम्मेलन में नए ध्वज को प्रदर्शित किया गया था. बता दें कि इस ध्वज को 1907 (कुछ के अनुसार 1905 में) में पेरिस, मैडम कामा में क्रांतिकारियों द्वारा फहराया गया था. यह ध्वज (National Flag) भी पहले के समान था, सिवाय इसके कि इसमें सबसे ऊपरी की पट्टी पर केवल एक कमल था, जो कि सात तारे सप्तऋषि को दर्शाता हैं.

तीसरा राष्ट्रीय ध्वज- घरेलू शासन आंदोलन के दौरान अपनाया

National Flag

जब हमारे देश में राजनीतिक संघर्ष ने एक निश्चित मोड़ लिया था तो उस समय वर्ष 1917 में तृतीय राष्ट्रीय ध्वज (National Flag) फराया गया था. डॉ. एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन के दौरान इसे फहराया था. इस ध्वज में 5 लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियां एक के बाद एक और सप्तऋषि के अभिविन्यास में इस पर बने सात सितारे थे व बाईं और ऊपरी किनारे पर (खंभे की ओर) यूनियन जैक था एवं एक कोने में सफेद अर्धचंद्र और सितारा भी था.

चौथा राष्ट्रीय ध्वज: गैर अधिकारिक रूप से अपनाया

National Flag

साल 1921 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र के दौरान, बेजवाड़ा (अब विजयवाड़ा) में आंध्र प्रदेश के एक युवक ने एक झंडा बनाया था, जो उसने महात्मा गांधी जी को दिया. यह दो रंगों से बनाया गया था, लाल और हरा. जो कि दो प्रमुख समुदायों अर्थात हिन्दू और मुस्लिम का प्रतिनिधित्व करता है.
जिसके बाद गांधी जी (Mahatma Gandhi) ने सुझाव दिया कि, इस ध्वज में भारत के शेष समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक सफेद पट्टी और राष्ट्र की प्रगति का संकेत देने के लिए एक चलता हुआ चरखा होना चाहिए.

पांचवा राष्ट्रीय ध्वज- राष्ट्रीय ध्वज के रूप में रंगों को अपनाया

National Flag

ध्वज (National Flag) के इतिहास में, साल 1931 एक यादगार वर्ष है. बता दें कि ध्वज को हमारे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया था. जो की वर्तमान स्वरूप का पूर्वज है. यह ध्वज केसरिया, सफेद और मध्य में गांधी जी के चलते हुए चरखे के साथ बनाया गया था. साथ ही यह भी स्पष्ट रूप से बताया गया था कि इसका कोई सांप्रदायिक महत्व नहीं था.

छठा राष्ट्रीय ध्वज: भारत का वर्तमान तिरंगा

National Flag

भारत का वर्तमान ध्वज (National Flag), 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था, जो कि संविधान सभा ने इसे मुक्त भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में अपनाया था. बता दें कि स्वतंत्रता मिलने के बाद इसके रंग और उनका महत्व बना रहा है. बहरहाल ध्वज में चलते हुए चरखे के स्थान पर सम्राट अशोक के धर्म चक्र का उपयोग किया गया है.

गौरतलब है कि इस प्रकार कांग्रेस पार्टी का तिरंगा ध्वज अंतत: स्वतंत्र भारत का तिरंगा ध्वज है.

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