मोहन भागवत द्वारा ‘पंडितों’ पर दिए गए विवादित बयान पर पूरे देश में संग्राम, बढ़ते बवाल को देखते हुए अब RSS ने दी ये सफाई
Mohan Bhagwat Controversial Statement: संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने रविवार 5 फरवरी को ब्राहम्ण जाति को लेकर एक विवादित बयान दिया था. जिसके बाद से पूरे देश भर में ब्राहम्ण एकता मंच की ओर से उनके बयानों की निंदा करते हुए उनसे माफी की मांग की जा रही है.
इसके साथ ही सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर ब्राह्मणों ने संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के बयान पर नाराजगी जाहिर करते हुए टिप्पणियां करनी शुरू कर दी. आइए जानते हैं कि आखिर मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने ऐसा क्या कह दिया है कि उनके बयान को लेकर देशभर में बवाल मचा हुआ है.
भागवत के इस बयान से मचा है बवाल
Have you ever heard any Muslim calling for disband WAQF?
But some popcorn Hindus started trending against #Mohanbhagwat
Without knowing the truth.
Now tell me who is real enemy of Hindus? pic.twitter.com/gvwDflolbn— Kavi 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 (@kavita_tewari) February 6, 2023
दरअसल रविदास जयंती के अवसर पर 5 फरवरी को मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे थे. जहां उन्होंने मंच से कहा था कि- ” जाति पंडितों ने बनाई जो गलत है. भगवान के लिए हम सभी एक हैं. हमारे समाज को बांटकर पहले देश में आक्रमण हुए, फिर बाहर से आए लोगों ने इसका फायदा उठाया.” भागवत के इस बयान से ही ब्राहम्ण समाज में खासा नाराजगी देखने को मिल रही है.
कानपुर में RSS प्रमुख मोहन भागवत के जातिवाद पर दिए गए बयान पर कानपुर में प्रदर्शन। मैं ब्राह्मण हूं, महासभा के लोगो ने जमीन पर बैठकर पढ़ी हनुमान चालीसा। संगठन के पदाधिकारियों ने कहा भागवत बयान लें वापस ,वरना इन्हे कलयुग का विभीषण कहेंगे। @NavbharatTimes #Mohanbhagwat pic.twitter.com/JYs3m20xXY
— Sumit Sharma (@sumitsharmaKnp) February 6, 2023
ट्विटर से लेकर फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मोहन भागवत के खिलाफ इस बयान के लिए ब्राहम्ण समाज तंज कसते हुए कड़ी प्रतिक्रियाए दे रहा है. ब्राह्मणों ने सोशल मीडिया पर मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के बयान की निंदा करते हुए उसे राजनीति से प्रेरित बताया. गौरतलब है कि इस साल राजस्थान, मध्यप्रदेश, त्रिपुरा, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और मिजोरम सहित नौ राज्यों में चुनाव होना है. वहीं, अगले साल 2024 में लोक सभा का चुनाव होना है.
अखिलेश यादव ने साधा निशाना
भगवान के सामने तो स्पष्ट कर रहे हैं कृपया इसमें ये भी स्पष्ट कर दिया जाए कि इंसान के सामने जाति-वर्ण को लेकर क्या वस्तुस्थिति है। pic.twitter.com/xvDDqmKW9i
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) February 6, 2023
रामचरित मानस की चौपाई विवाद को लेकर घिरे समाजवादी पार्टी ने भी संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के बयान को ढाल बनाते हुए निशाना साधा है. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने सोमवार को ट्वीट कर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर तंज कसा. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि- “भगवान के सामने तो स्पष्ट कर रहे हैं. कृपया इसमें यह भी स्पष्ट कर दिया जाए कि इंसान के सामने जाति-वर्ण को लेकर क्या वस्तु स्थिति है?”
गौरतलब है कि विपक्ष रामचरित मानस की चौपाई के जरिये भाजपा और संघ को दलितों और पिछड़ों के खिलाफ रखने की कोशिश में जुटी हुई है. वहीं, अब भागवत के बयान को हवा देकर अब ब्राह्मणों में भी नाराजगी पैदा करने की कोशिश में जुट गई है.
संघ ने भागवत के बयान पर दी सफाई
देश में चौतरफा ब्राहम्ण समाज द्वारा हो रहे निंदा के बाद संघ की ओर से मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के बयान को लेकर प्रतिक्रिया सामने आई है. संघ की ओर से कहा गया कि- “मोहन भागवत ने जिस ‘पंडित’ शब्द का उपयोग किया था, उसका मतलब ‘बुद्धिजीवियों’ से है, न कि ब्राह्मणों से.” आरएसएस के प्रचार प्रभारी सुनील आंबेकर ने बताया कि सरसंघचालक मराठी में बोल रहे थे. मराठी में पंडित का अर्थ बुद्धिजीवी होता है. उनके बयान को सही परिप्रेक्ष्य में लिया जाना चाहिए.
‘संघ ने हमेशा की सामाजिक समरसता की बात’
मीडिया ने "संघ प्रमुख" "मोहन भागवत" जी के बयान का अर्थ का अनर्थ कर दिया।
RSS प्रमुख मराठी में बोल रहे थे। जिसका गलत अनुवाद किया गया। उन्होंने कहीं भी ब्राह्मण जाति का नाम नही लिया।
शास्त्रों के अनुसार पंडित का अर्थ "विद्वान" होता है न की ब्राह्मण।
ये है असली बयान #MohanBhagwat pic.twitter.com/l4p38t7mQB
— Jitendra Pratap Singh (@JitendraStv) February 6, 2023
आरएसएस के प्रचार प्रभारी सुनील आंबेकर (Sunil Ambekar) ने कहा कि- “सरसंघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) हमेशा सामाजिक समरसता की बात करते हैं. वह कह रहे थे कि लोग शास्त्रों से कुछ भी व्याख्या कर सकते हैं, वह सब सही नहीं हो सकता है. वो संत रविदास के अनुभव की बात कर रहे थे. कोई भी इसे गलत संदर्भ में न ले और सामाजिक समरसता को ठेस नहीं पहुंचाए. आरएसएस ने हमेशा छूआछूत के खिलाफ बात की है और सभी सामाजिक विभाजनों का विरोध किया है.”
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