April 25, 2024

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जन्‍माष्‍टमी के शुभ अवसर पर इन मंत्रों के उच्चारण करते समय श्री कृष्ण को लगाए भोग

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Krishna Janmashtami 2023: जन्‍माष्‍टमी पर भगवान श्री कृष्‍ण के बाल स्वरूप का जन्‍मोत्‍सव बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है और उन्‍हें 56 भोग लगाकर, पालने में झूला झुलाकर, लल्‍ला के घर आने की खूब खुशियां मनाई जाती हैं। कान्‍हा जी को सर्वोत्तम प्रिय, माखन मिश्री से उनका भोग लगाया जाता है और मंत्रों का जप और कुंज बिहारी की आरती करते हुए पूजा की जाती है।

आज हम आपको बताने जा रहे हैं वह मंत्र जो भगवान श्री कृष्‍ण को सबसे प्रिय है और मान्‍यता है कि इस मंत्र का उच्‍चारण करते हुए यदि आप जन्‍माष्‍टमी (Krishna Janmashtami 2023) का त्‍योहार मनाएं तो आपका घर भी खुशियों से और आनंद से भर जाएगा।

मंत्रो के सही अर्थ

Krishna Janmashtami 2022

किसी भी मंत्र का जप करने से पहले उसका अर्थ जान लेना अत्यंत आवश्यक होता है, तभी मन सच्‍ची श्रृद्धा भाव से जप करने में लगता है। ‘कृष्ण’ शब्द दो अक्षरों से बना है—कृष् + ण। ‘कृष्’का अर्थ है आकर्षण और ‘ण’ का अर्थ है आनंद। अर्थात् जो सभी के मन को आकर्षित करके आनंद प्रदान करते हैं वह हैं श्रीकृष्ण।

ब्रह्मवैवर्तपुराण में श्रीराधाजी द्वारा की गई कृष्ण नाम की व्याख्या इस प्रकार है:- कृष्ण ऐसा मंगल नाम है जिसकी वाणी में वर्तमान रहता है। कृष्ण नाम अकेले ही मनुष्य के सारे दोषों को दूर कर देता है। इस मंत्र में भगवान कृष्ण से यह प्रार्थना की गई है कि हे प्रभु, आप सभी के मन को आकर्षित करने वाले हैं, अत: आप मेरा मन भी अपनी ओर आकर्षित कर अपनी भक्ति व सेवा की ओर लगाइए व मेरे सारे पापों का नाश कीजिए।

गोविंद से अभिप्राय

Krishna Janmashtami 2022

गोविन्द नाम का अर्थ है, गायों के इंद्र या समस्त इंद्रियों के स्वामी। जैसे आग बुझा देने के लिए जल और अन्धकार को नष्ट करने के लिए सूर्योदय समर्थ है, उसी प्रकार कलियुग के पापों का नाश करने के लिए गोविन्द नाम का कीर्तन समर्थ है।

गोपियां श्रीकृष्ण का स्मरण कैसे करती थीं, इसका वर्णन श्रीमद्भागवत में किया गया है। जो गोपियां गायों का दूध दुहते समय, धान आदि कूटते समय, दही बिलोते समय, आंगन लीपते समय, बालकों को झुलाते समय, रोते हुए बच्चों को लोरी देते समय, घरों में छिड़काव करते तथा झाड़ू लगाते समय प्रेमपूर्ण चित्त से, आंखों में आंसू भरे, हल्‍के स्‍वर से श्रीकृष्ण के गुणगान किया करती हैं, वे श्रीकृष्ण में ही चित्त लगाने वाली गोपियां धन्य है।

 

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