Kuno National Park: मादा चीता के दो और शावकों की मौत, दक्षिण अफ़्रीकी एक्सपर्ट्स की ली जा रही सलाह

0
Kuno National Park

चीता प्रोजेक्ट (Project Cheetah) को एक बार फिर झटका लगा है. कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में दो और चीता शावकों की मौत हो गई है. दो दिनों पहले भी मादा चीता ज्वाला के एक शावक की मौत हो गई थी. ज्वाला ने करीब दो महीने पहले चार शावकों को जन्म दिया था. इनमें से तीन की मौत हो गई है. वहीं, एक शावक की तबीयत भी खराब है.

इससे पहले तीन बड़े चीतों की भी कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में मौत हो चुकी है. इन्हें मिलाकर अफ्रीकी (Africa) देशों से लाए गए चीतों में से अब तक छह की मौत हो चुकी है। इनमे तीन शावक और तीन वयस्क चीता शामिल हैं। अब कूनो नेशनल पार्क में 17 वयस्क चीता और एक शावक जीवित हैं।

गर्मी को देखते हुए किया जा रहा था शावकों का रेस्क्यू

Kuno National Park

मध्यप्रदेश (MP)के प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने शावकों की मौत पर रिलीज जारी कर कहा है कि एक शावक की मौत के बाद तीन अन्य शावकों की देखभाल की जा रही थी. दिन के समय चीता ज्वाला को सप्लीमेंट दिया गया था. दोपहर के बाद निगरानी की गई तो तीनों शावकों की स्थिति ठीक नहीं लगी. वन विभाग (Kuno National Park) ने यह भी कहा कि 23 मई को यहां सबसे अधिक गर्मी पड़ी है.

दिन का तापमान यहां 46-47 डिग्री सेल्सियस रहा है. साथ ही पूरे दिन अत्यधिक गर्म हवाएं और लू चलती रही हैं. गर्मी को देखते हुए तीनों शावकों का रेस्क्यू किया गया और उनका उपचार शुरू किया गया. दो शावकों की स्थिति अत्यधिक खराब होने से उपचार के सभी प्रयासों के बावजूद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका. एक शावक गंभीर हालत में गहन उपचार एवं निगरानी में पालपुर स्थित चिकित्सालय में रखा गया.

उसका लगातार उपचार किया जा रहा है. उपचार के लिए नामीबिया (Namibia) एवं साउथ अफ्रीका (South Africa) के सहयोगी चीता विशेषज्ञ एवं चिकित्सकों की सलाह ली जा रही है. यह शावक वर्तमान में गहन उपचार में है. मादा चीता ज्वाला स्वस्थ है. उसकी लगातार निगरानी की जा रही है.

दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञ ने किया आगाह

Kuno National Park

दक्षिण अफ्रीकी (South Africa) वन्यजीव विशेषज्ञ विंसेंट वा डेर मर्वे ने एक इंटरव्यू में कहा कि यदि प्रोजेक्ट चीता (Project Cheetah) को सफल करना है तो भारत को अधिक से अधिक फेंस जंगलों का इस्तेमाल करना होगा. दुनियाभर में किसी जानवर प्रजाति को फिर से बसाने के लिए किए गए प्रयासों में बिना फेंसिंग वाले हैबिबेट में सफलता नहीं मिली है.

कुछ महीनों बाद जब चीतों को खुले जंगल में छोड़ा जाएगा और क्षेत्र में कब्जा जमाने के लिए जब उनका बाघों व तेंदुओं से सामना होगा, तब और भी मौतें देखने को मिल सकती है. इससे बचने के लिए भारत को जल्द से जल्द फेंस जंगलों को बनाना पड़ेगा.

 

यह भी पढ़ें : नए संसद भवन का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, राष्ट्रपति से उद्घाटन कराने की मांग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed