March 29, 2024

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सियासी घमासान के बीच Hemant Soren ने हासिल किया विश्वास मत, कहा- गृह युद्ध जैसे हालात पैदा कर रही है BJP

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Hemant Soren

झारखंड: राज्य में  चले लंबे सियासी घमासान के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने आज सोमवार को विश्वास मत हासिल कर लिया. 81 सदस्यों वाली झारखंड विधानसभा में हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के पक्ष में 48 वोट पड़ा. जिसके बाद स्पीकर ने सोरेन के पक्ष में विश्वास मत साबित करने की घोषणा की. भाजपा ने सदन का बहिष्कार किया. वहीं, कैश कांड में गिरफ्तार कांग्रेस के तीन विधायक विधानसभा नहीं पहुंचे.

सोरेन ने बुलाया विधानसभा का विशेष सत्र

दरअसल हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने आज विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था. विश्वास मत से पहले सीएम सोरेन यूपीए विधायकों के साथ विधानसभा पहुंचे. जिसके बाद स्पीकर की मौजूदगी में वोटिंग हुई और सोरेन ने विश्वास मत जीता. इसके बाद स्पीकर ने सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित कर दिया गया.

वहीं पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि-विश्वास मत हासिल करने के लिए विशेष सत्र बुलाना समझ से परे है. उन्होंने कहा कि- सोरेन पर मुख्यमंत्री रहते हुए खुद को लाभ पहुंचाने के मुद्दे पर पार्टी उनके इस्तीफे की मांग करती है.

सोरेन ने बीजेपी पर लगाए गंभीर आरोप

Hemant Soren

विश्वास मत हासिल करने के बाद सीएम हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने कहा कि- लोकतंत्र को बचाने के लिए हमने यह सत्र बुलाया था. इस दौरान उन्होंने विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान भाजपा पर कई सारे आरोप लगाए. सोरेन ने कहा कि भाजपा चुनाव जीतने के लिए देश में गृह युद्ध जैसे हालात पैदा करने की कोशिश कर रही है. सोरेन नेआगे कहा कि-जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें नहीं हैं वहां वह लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित सरकारों को अस्थिर करने के प्रयास कर रही है.

राज्यपाल ने नहीं दिया कोई आदेश

Ramesh Bais

बता दें कि सीएम पद रहते हुए खुद को लाभ पहुंचाने के आरोप में चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की विधानसभा सदस्यता खत्म करने की सिफारिश की है. खबरों की माने तो इस संबंध में आयोग राज्यपाल को अपना फैसला भी सुना चुकी है. लेकिन अब तक राज्यपाल रमेश बैस की ओर से इम मामले में कोई बयान या आदेश सामने नहीं आया है.

वहीं, दूसरी ओर सोरेन विश्वास मत के जरिए यह संदेश देना चाहते हैं कि विधानसभा में उन्हें पूर्ण बहुमत हासिल है. यदि विधानसभा की सदस्यता रद्द होता है तो भी उनके गठबंधन के पास सरकार बनाने के लिए विधायकों की संख्या पर्याप्त है.

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