पार्टी और चुनाव चिन्ह को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई, चीफ जस्टिस ने शिंदे गुट को नोटिस जारी करते हुए कही ये बात
Shinde vs Thackeray: शिवसेना में उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे (Shinde vs Thackeray) के बीच जारी घमासान को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. शीर्ष अदालत ने शिंदे गुट को नोटिस जारी किया और दो हफ्ते में जवाब देने के लिए कहा. कोर्ट ने फिलहाल चुनाव आयोग के फैसले पर रोक नहीं लगाया है. हालांकि कोर्ट ने कहा कि उद्धव कैंप अभी मिले अस्थायी नाम और चुनाव चिन्ह (Shinde vs Thackeray) का इस्तेमाल जारी रख सकता है.
सुनवाई के दौरान हुई ये बातचीत
पार्टी नाम और चुनाव चिन्ह को लेकर दायर की गई याचिका (Shinde vs Thackeray) पर सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि- “आयोग ने सुप्रीम कोर्ट की तरफ से रोक न लगाने के बाद अपना काम किया. दोनों पक्षों ने खुद को असली पार्टी बताया. आयोग ने विस्तार से सुनवाई कर फैसला लिया है.”
जिसपर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने नोटिस जारी करते हुए कहा कि- “हम याचिका की सुनवाई करेंगे.” इसके बाद उद्धव ठाकरे की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि- “चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगनी चाहिए. यह एक के बाद एक पार्टी दफ्तर पर कब्ज़ा कर रहे हैं. आज अगर यह लोग कोई व्हिप (Shinde vs Thackeray) जारी कर दें तो हमारे समर्थक अयोग्य हो जाएंगे, सिब्बल ने कहा कि-पार्टी के बैंक अकाउंट पर इनका कब्ज़ा हो जाएगा. इसलिए आयोग के फैसले पर रोक लगनी चाहिए.”
जिसपर, सीजेआई ने कहा कि- “शिंदे गुट का कहना है कि फिलहाल वह ऐसा नहीं करेंगे. इसके साथ ही चीफ जस्टिस ने पूरे मामले पर 2 हफ्ते में नोटिस ओर जवाब देंऔर जवाब (Shinde vs Thackeray) मांगा है. फिलहाल उद्धव कैंप अपने मौजूदा नाम और चुनाव चिह्न का इस्तेमाल करना जारी रख सकता है. मामले की अगली सुनवाई 3 हफ्ते बाद होगी.”
कपिल सिब्बल ने दिया यह तर्क
उद्धव ठाकरे की तरफ से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि- “चुनाव आयोग कह रहा है कि शिवसेना का 2018 का संविधान रिकॉर्ड (Shinde vs Thackeray) पर नहीं है. इसलिए, विधायक दल में बहुमत के हिसाब से सुनवाई करेंगे. यह गलत है. अगर यह भी आधार हो तो विधान परिषद और राज्यसभा में हमारे पास बहुमत है. उसकी उपेक्षा की गई है.”
शिंदे के वकिल ने कही ये बात
इसके जवाब में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पक्ष के वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि- “2018 में एक पार्टी संविधान बनाया गया कि सारे अधिकार अध्यक्ष के पास ही रहेंगे. इस तानाशाही भरे संविधान की जानकारी भी चुनाव आयोग को नहीं दी गई.” उन्होंने आगे कहा कि- “सिर्फ अयोग्यता की कार्रवाई लंबित होना किसी विधायक को सदन के कामकाज से वंचित नहीं करता.”
कौल ने कहा कि- “चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुनवाई (Shinde vs Thackeray) हाई कोर्ट में होनी चाहिए. इन्हें सीधे सुप्रीम कोर्ट में बात रखने की इजाज़त नहीं मिलनी चाहिए.”
ये भी पढ़ें- आप उम्मीदवार शैली ओबेरॉय बनी दिल्ली की नई मेयर, बीजेपी की रेखा गुप्ता को बड़े अंतर से हराया