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Intresting Facts about Momos: मोमोज खाना किसे पसंद नहीं, मोमोज (Momos) देख हर किसी के मुंह में पानी नहीं आ जाता. ऐसा शायद ही कोई होगा, जिसे यह स्ट्रीट फूड (Street Food) खाना पसंद न हो. मोमोज और चटपटी चटनी का टेस्ट ही लाजवाब होता है. जिस डिश को आप इतने चटकारे के साथ खाते हैं क्या आप जानते हैं कि उसका इतिहास क्या है. मोमोज (Momos) का पूरा नाम क्या है, कहां से आया, कैसे आया और उसकी शुरुआज कैसे हुई थी. अगर नहीं तो आज हम आपको बताते हैं मोमोज से जुड़ी कुछ दिलचस्प फैक्ट्स.

कैसे पड़ा मोमोजका नाम?

Momos

मोमोज (Momo’s) एक चाइनीज शब्द है लेकिन यह तिब्बत से आया है. मोमो को तिब्बतियन शब्द मॉग-मॉग (Mog-Mog) से बनाया गया है. इसका मतलब स्टफ्ड बन होता है. यानी कि मोमो का फुल-फॉर्म मॉग-मॉग है, जिसे शॉर्ट नाम से जाना जाता है. इसके अलावा नेपाली शब्द ‘मोम’ (Mome) से भी इसे जोड़ा जाता है. नेपाली में मोम का अर्थ होता  है ‘भाप में पकाना’. तिब्बत में इसे मोमोचा कहा जाता था. नेवाड़ी में ‘मा नेउ’ का मतलब उबला हुआ खाना होता है. इसलिए इस तरह की डिश को मोमोचा कहा जाता था.

वेज मोमोज

Momos

वैसे तो भारत में वेज मोमोज ज्यादा फेमस हैं. हर स्ट्रीट, हर बाजार में अलग-अलग फ्लेवर के टेस्ट में मोमोज मिल जाता है लेकिन कई लोगों का मानना है कि सबसे टेस्टी मोमो शिलॉन्ग में मिलते हैं. यहां मोमोज के अंदर मीट की फीलिंग भरकर सर्व की जाती है.  सिक्किम में बीफ और पॉर्क भरी जाती है जबकि अरुणाचल प्रदेश से लगे कुछ खास जनजातियों के लोग इसमें सरसों की पत्तियां और सब्जियां भरते हैं. कहा जाता है कि शुरुआत में नेवार समुदाय बफ मोमो खाते थे.

भारत तक कैसे पहुंचा मोमोज

Momos

भारत के सिक्किम में मोमोज (Momos) सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है. कहा जाता है कि सिक्किम में मोमोज, भूटिया, लेपचा और नेपाली समुदायों के चलते पहुचा. वे यहां इसी तरह की डिश खाया करते थे. माना जाता है कि 1960 के इर्द-गिर्द जब बड़ी संख्या में तिब्बती पलायन कर भारत आए, तभी से देश में मोमोज की शुरुआज हुई. आज दिल्ली हो या फिर मुंबई, कोलकाता हो या चेन्नई हर जगह मोमोज को खूब पसंद किया जाता है.

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