चाणक्य के अनुसार जीवन में कुछ ऐसे भी दुख होते है जिनसे निकल पाना संभव नहीं होता।
पुत्री के वैवाहिक जीवन की चिंता
Chanakya Niti : पुत्री के लिए सुयोग्य वर की तलाश कर उसका विवाह करना पिता के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि होती है। बेटी का विवाह करके पिता अत्यंत सुख का अनुभव करता है। लेकिन यदि बेटी विधवा हो जाए तो माता-पिता के लिए ये जीवन का सबसे बड़ा दुख होता है। चाणक्य नीति के अनुसार, ये दुख माता-पिता को तोड़कर रख देता है और वे जीवनभर इस दुख से निकल नहीं पाते।
न आर न पार
Chanakya Niti : चाणक्यनीति के अनुसार, जीवन में कई बार ऐसी परिस्थितियां आती हैं, जब व्यक्ति को ऐसे स्थान पर रहना पड़ता है जहां वो नहीं रहना चाहता। ऐसे स्थान पर रहना व्यक्ति के लिए बोझ के समान होता है। उस जगह उसे हर समय घुटन होती रहती है। कभी-कभी ऐसी जगह से निकल जाने के बावजूद भी व्यक्ति वहां के अनुभव कभी भुला नहीं पाता। स्त्री हो या पुरुष यदि उसका स्वभाव अच्छा नहीं है, वो झगड़ालू प्रवृत्ति का है, तो उसके जीवनसाथी की जंदगी नर्क के सामान बन जाती है। इस दुख से बाहर निकल पाना स्त्री हो या पुरुष दोनों के लिए ही मुश्किल होता है।
बुरी लत
Chanakya Niti : यदि कोई व्यक्ति शराबी है और काम धाम नहीं करता तो उसकी पत्नी और बच्चों का जीवन नर्क के समान हो जाता है। बाद में परिस्थितियां भले ही सही हो जाएं, लेकिन वो दुख व्यक्ति को जीवन भर सताता है।
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